कल से माँ दुर्गा के नौ रूपों की जानकारी

देवी माँ या निर्मल चेतना स्वयं को सभी रूपों में प्रत्यक्ष करती है और सभी नाम ग्रहण करती है| हर रूप और हर नाम में एक दैवीय शक्ति को शुकल पक्ष के दिन से नौवे दिन अश्विना तक हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ समय माना जाता है,और इसलिए दुर्गा पूजा के रूप में वर्ष की सबसे मशहूर समय माना जाता है। नौ रूप नौ दिन तक लगातार अलग अलग पूजे जाते है। हालाकि साल में चार बार नवरात्रि आते है  असीम आनन्द और हर्षोल्लास के नौ दिनों का उचित समापन होता है|

शैलपुत्री
ब्रह्मचारिणी
चन्द्रघंटा
कूष्माण्डा
स्कंदमाता
कात्यायनी
कालरात्रि
महागौरी
सिद्धिदात्री

 

शैलपुत्री ( पर्वत की बेटी )

शैल का अर्थ है शिखर| दुर्गा को शैल पुत्री क्यों कहा जाता है, यह बहुत दिलचस्प बात है| जब ऊर्जा अपने शिखर पर होती है, केवल तभी आप शुद्ध चेतना या देवी रूप को देख, पहचान और समझ सकते हैं| उससे पहले, आप नहीं समझ सकते, क्योंकि इसकी उत्त्पति शिखर से ही होती है – इस जन्म में उसका नाम सती-भवानी था और भगवान शिव की पत्नी । एक बार दक्षा ने भगवान शिव को आमंत्रित किए बिना एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया था देवी सती वहा पहुँच गयी और तर्क करने लगी। उनके पिता ने उनके पति (भगवान शिव) का अपमान जारी रखा था ,सती भगवान् का अपमान सहन नहीं कर पाती और अपने आप को यज्ञ की आग में भस्म कर दी | दूसरे जन्म वह हिमालय की बेटी पार्वती- हेमावती के रूप में जन्म लेती है और भगवान शिव से विवाह करती है।