दिल्ली में आॅड-ईवन लागू होगा या नहीं, इसका फैसला सोमवार को होगा। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली गैस चैम्बर बनी हुई है लेकिन अब मामला एनजीटी और दिल्ली सरकार के बीच फंस गया है। दिल्ली सरकार को एनजीटी ने फटकार लगाई और कुछ शर्तें लागू कर दीं तो दिल्ली सरकार ने आॅड-ईवन को ही टालने का फैसला कर लिया। अब दिल्ली सरकार सोमवार को फिर से एनजीटी के सामने जा रही है। एनजीटी से साफ कहा जाएगा कि या तो अपनी शर्तें हटाओ या फिर आॅड-ईवन नहीं होगा।
दरअसल दिल्ली सरकार आॅड-ईवन के फायदों से एनजीटी को सहमत नहीं कर पाई थी। इसीलिए एनजीटी ने पूछा था कि आखिर यह कैसे साबित होता है कि आॅड-ईवन से दिल्ली की जहरीली हवा खत्म हो जाएगी। पिछली बार दिल्ली सरकार ने 2016 में जनवरी और अप्रैल में आॅड-ईवन लागू किया था। पहली बार हुए आॅड-ईवन के दौरान स्कूल भी बंद कर दिए गए थे और स्कूल बसें दिल्ली सरकार ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए ले ली थीं लेकिन दूसरी बार ऐसा नहीं हुआ और जनता को भारी परेशानी हुई। अब एनजीटी ने शर्त लगा दी कि महिलाओं को और टू व्हीलर्स को भी छूट नहीं मिलेगी। जाहिर है कि ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ज्यादा जरूरत होगी जबकि दिल्ली सरकार को पता है कि उसके पास बसें हैं ही नहीं और मेट्रो में पहले ही भारी भीड़ है। इसलिए शर्तों को न मानते हुए दिल्ली सरकार ने आॅड-ईवन से ही हाथ खींचने की घोषणा कर दी।
अब सोमवार को एनजीटी के सामने यही कहा जाएगा कि महिलाओं और टू व्हीलर्स को छूट दी जाए। छूट नहीं मिली तो फिर एनजीटी की शर्तें न मानते हुए दिल्ली सरकार आॅड-ईवन लागू नहीं करेगी। जाहिर है कि दिल्ली सरकार के लिए भी इस स्थिति से निकलने के लिए यही एक तरीका है।