दिल्ली में एक हजार बसों से भी नहीं सुधरेंगे हालात

 एक्सपर्ट कहते हैं कि दिल्ली की जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिल्ली में कम से कम 11 हजार बसों की जरूरत है। इस समय डीटीसी के पास चार हजार से भी कम बसें हैं। इन बसों की तादाद 3 हजार 944 है और हर रोज बसों की कमी होती जा रही है। इसके अलावा एक हजार 634 क्लस्टर बसें हैं। इस तरह देखा जाए तो दिल्ली में बसों की तादाद करीब साढे 5 हजार बसें हैं यानी जरूरत से आधी बसें ही चल रही हैं। अब दिल्ली सरकार ने एक हजार और बसें खरीदने का फैसला किया है। ये बसें भी कम से कम एक साल के अरसे में सड़क पर आ सकेंगी। इस तरह ये एक हजार बसें भी हालात में ज्यादा सुधार नहीं कर पाएंगी। दिल्ली में डीटीसी 865 रूटों पर बसें चलाती है लेकिन बसों की कमी के कारण 657 रूटों पर ही बसें चला पा रही है। इस तरह दो सौ से ज्यादा रूटों पर तो बसें चल ही नहीं रहीं।
एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि दिल्ली में बसों की संख्या तो कम है ही, उसके रूट भी इस तरह के नहीं हैं कि जनता की मांग के अनुसार हों। इसका नतीजा यह निकलता है कि बसों की कमी और भी ज्यादा हो जाती है। एक ही रूट पर जरूरत से ज्यादा बसें दौड़ती हैं जैसे आईटीओ से लेकर सेंट्रल सेक्रेट्रिएट तक बसों की तादाद बहुत ज्यादा है लेकिन आईटीओ से दिल्ली के कई इलाकों तक बसों की तादाद कम है। इसके अलावा मेट्रो से क्नेक्टिविटी न होने के कारण भी बहुत-से लोग मेट्रो का सफर नहीं कर पाते। हालांकि दिल्ली सरकार पिछले तीन साल से एक हजार बसें खरीदने का वादा कर रही है लेकिन अब उसका प्रोसेस शुरू किया गया है और सड़कों पर बसें आने में करीब एक साल लग जाएगा। ऐसे में डीटीसी के बेड़े में जो बसें पुरानी हो गई हैं, उन्हें भी हटाना पड़ेगा। इस तरह नई बसें भी बहुत ज्यादा हालात नहीं सुधारेंगे।