जानें दो कमरों के दफ्तर से Flipkart बनने तक की पूरी कहानी

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Flipkart का अनोखा सफ़र

11 साल पहले दो युवाओं ने एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी से इस्तीफा देकर अपने सपने की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने बेंगलुरु में दो कमरे के मकान में अपनी छोटी सी कंपनी शुरू की। उनकी लगन और मेहनत का नतीजा ये हुआ कि उनकी कंपनी फ्लिपकार्ट देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बनी। बेंगलुरु में इसका नया ऑफिस 8.3 लाख वर्ग फीट का है। बुधवार को कंपनी ने अमेरिका की दिग्गज रिटेल कंपनी वॉलमार्ट के साथ समझौते की घोषणा की है। इसके तहत वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट के 77 फीसद शेयर खरीद रही है। फ्लिपकार्ट के इस अनोखे सफर पर एक नजर…

2007 में स्थापना
2005 में आइआइटी, दिल्ली में सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की मुलाकात हुई। अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन में काम करते हुए दोनों में दोस्ती हुई।

दोनों के दिल में अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करने का अरमान था। लिहाजा दोनों ने नौकरी छोड़ी और अक्टूबर, 2007 में बेंगलुरु में ऑनलाइन बुकस्टोर के रूप में फ्लिपकार्ट की स्थापना की। यह भी एक सच है कि दोनों ने ही अमेजन में रहकर कारोबारी गुर सीखे और यह भारत में अमेजन व फ्लिपकार्ट के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है।

दोनों दिग्गज कंपनियों की इस राइवलरी की एक खास बात यह भी है कि दोनों ही कंपनियों की शुरुआत लगभग एक ही तरह से हुई थी। अमेजन की शुरुआत एक बुकस्टोर के तौर पर हुई और फ्लिपकार्ट ने भी अपनी पारी की शुरुआत एक ऑनलाइन बुक स्टोर के तौर पर की।

बढ़ता गया दायरा

सबसे पहली किताब जो फ्लिपकार्ट ने बेची वह जॉन वुड्स की लिखी ‘लीविंग माइक्रोसॉफ्ट टू चेंज द वल्र्ड’ थी। किताबों के बाद कंपनी ने म्यूजिक, फिल्में, गेम्स, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और मोबाइल बेचना शुरू किया। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मोबाइल की बिक्री ने कंपनी को तेजी से ऊपर पहुंचाया। 2010 में कंपनी ने अपनी लॉजिस्टक कंपनी ईकार्ट लांच की।

देश-विदेश में ऑफिस

2008 में बेंगलुरु में कंपनी ने पहला ऑफिस खोला। इसके बाद 2009 में दिल्ली और मुंबई में ऑफिस बनाए। कंपनी ने बेंगलुरु के सभी ऑफिस को 8.3 लाख वर्ग मीटर के कैंपस में समेट दिया। 2011 में कंपनी ने सिंगापुर में भी ब्रांच खोली।

आर्थिक समीकरण
वित्तीय वर्ष 2017 में कंपनी के मालिकों का संयुक्त नुकसान 87.70 अरब रुपये रहा। 2016 में यह 52.16 अरब रुपये था। कंपनी का कुल मुनाफा 2016 की तुलना में 29 फीसद बढ़कर 198.55 अरब रुपये हो गया।

प्रमुख कंपनियों का अधिग्रहण
– 2014 में प्रमुख क्लॉदिंग ई-रिटेलर मिंत्रा 20 अरब रु और 2016 में जबोंग को 4.7 अरब रु में खरीदा।

– 2016 में ही पेमेंट यूनिट फोनपे का अधिग्रहण किया।

– 2017 के अप्रैल में अन्य ई-कॉमर्स साइट ईबे ने फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी पाने के लिए फ्लिपकार्ट में 50 करोड़ डॉलर (33.6 अरब रुपये) का निवेश किया

और अपना बिजनेस भी फ्लिपकार्ट को बेच दिया।

प्रमुख निवेशक
जापान का सॉफ्टबैंक ग्रुप फ्लिपकार्ट में 23-24 फीसद का हिस्सेदार है। दक्षिण अफ्रीका की नैस्पर्स की कंपनी में 13 फीसद हिस्सेदारी है। अन्य में न्यूयॉर्क की ग्लोबल टाइगर, अमेरिकी कंपनी एस्सेल पार्टनर्स, चीन की टेनसेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, ईबे और माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प शामिल हैं।

भारत में वॉलमार्ट का सफर
– 2007 में भारती इंटरप्राइज के साथ ज्वाइंट वेंचर में वॉलमार्ट भारत आया। पंजाब के अमृतसर में मई, 2009 में पहला स्टोर खोला।

– 2014 में वॉलमार्ट इंडिया पूरी तरह से वॉलमार्ट इंक के अधीन आ गया।

– अब वॉलमार्ट इंडिया बेस्ट प्राइस नाम से देश के नौ राज्यों में 21 कैश एंड कैरी स्टोर संचालित करता है।

– नवंबर, 2017 में वॉलमार्ट ने मुंबई में पहला फुलफिलमेंट सेंटर खोला।

– वॉलमार्ट का दावा है कि उसके दस लाख से अधिक ग्राहक हैं।

– इसके अन्य बिजनेस में बेंगलुरु स्थित ग्लोबल सोस्रिंग सेंटर और वॉलमार्ट लैब्स शामिल हैं।